Go First:एयरलाइन को फिर से उड़ान भरने के लिए चाहिए 425 करोड़ रुपये, दावा- कर्जदाताओं की मंजूरी का है इंतजार

Go First’s RP Shailendra Ajmera seeks Rs 425 crore in interim finance to restart airline

गो फर्स्ट की दिवालिया समाधान प्रक्रिया
– फोटो : amarujala.com

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गो फर्स्ट के समाधान पेशेवर शैलेंद्र अजमेरा ने एयरलाइंस फाइनेंसरों से अंतरिम वित्त में 425 करोड़ रुपये की मांग की है, ताकि एक पुनरुद्धार योजना बनाई जा सके और एयरलाइन का परिचालन फिर से शुरू करने में मदद मिल सके। बता दें कि गो फर्स्ट के दिवालिया मामले में शैलेंद्र अजमेरा को समाधान पेशेवर (आरपी) के रूप में नियुक्त किया गया है। संकट में फंसी विमानन कंपनी के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने यह फैसला किया है। ऋणदाताओं ने उन्हें गो फर्स्ट के लिए आरपी (समाधान पेशवर) बनाने के लिए एनसीएलटी से मंजूरी ली है।

सूत्रों ने हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भविष्य में विमानों के लिए दुरुस्त इंजनों की उपलब्धता और टिकट रद्द होने जैसी कुछ आकस्मिकताओं के आधार पर वित्तपोषण की जरूरत और बढ़ सकती है। बताया गया है कि सप्ताह की शुरुआत में हुई एक बैठक में गो फर्स्ट के लेनदारों की समिति के समक्ष वित्त पोषण से जुड़ा यह प्रस्ताव रखा गया।

एयरलाइन के कर्जदाताओं की समिति में ये बैंक शामिल

बता दें कि गो फर्स्ट के कर्जदाताओं की समिति में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक और ड्यूश बैंक शामिल हैं। अजमेरा जो कर्जदाताओं की समति की ओर से समर्थित है ने अब तक इस मामले में आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया समेत अन्य बैंकों ने भी इस पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है।

गो फर्स्ट को देश के विमानन क्षेत्र के नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से एयरलाइन का परिचालन फिर से शुरू करने के लिए अपनी मंजूरी लेनी है। पर यह मंजूरी एयरलाइन के लिए वित्तपोषण की उपलब्धता सुनिश्चित होने के बाद ही मिल पाएगी।

गो फर्स्ट को फिर से परिचालन शुरू करने के लिए नियामक की सहमति हासिल करने से पहले लेनदारों से वित्तपोषण प्रस्ताव पर मंजूरी लेना है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि एयरलाइंस के लेनदारों ने वित्तपोषण के लिए अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है, जबकि कुछ लेनदारों का कहना है कि वे अंतरिम वित्त प्रस्ताव को मंजूरी देने से पहले विमानन नियामक से स्पष्टता हासिल करने का इंतजार कर रहे हैं।

एनसीएलटी ने 10 मई को गो फर्स्ट की समाधान याचिका स्वीकार की थी

बता दें गो फर्स्ट ने दिवाला व ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 10 के तहत दिवाला प्रक्रिया के लिए याचिका दायर की है, जो किसी कंपनी को कर्ज समाधान के लिए स्वेच्छा से अदालती प्रक्रिया में पेश होने की अनुमति देता है। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने 10 मई को गो फर्स्ट की दिवाला याचिका स्वीकार कर ली थी

गो फर्स्ट पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों का करीब 6,000 करोड़ रुपये बकाया है। एनसीएलटी में स्वैच्छिक दिवाला के लिए अपने आवेदन में गो फर्स्ट ने कहा कि उसने विमान पट्टेदारों को 2,600 करोड़ रुपये और वेंडरों को 1,200 करोड़ रुपये का भुगतान करने में चूक की है। कंपनी ने कहा कि उसने दिवालिया प्रक्रिया के लिए याचिका इसलिए दायर की है क्योंकि अमेरिका की एयरोस्पेस निर्माता कंपनी प्रैट एंड व्हिटनी की ओर से उसे आपूर्ति किए गए खराब इंजनों के कारण उसके कई विमान परिचालन से बाहर हैं।

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Author: india9news

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